आज दुनिया वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे मना रही है। बढ़ती गर्मी, बाढ़ और तमाम प्राकृतिक आपदाओं के बीच पर्यावरण संरक्षण की महत्वता को किसी को समझाने की जरुरत नहीं है। पर्यावरण में होते बदलाव के साक्षी तो हर कोई हो रहा है, इस बदलाव के पीड़ित लोग पर्यावरण को कोसते तो नज़र आते हैं लेकिन एक कदम बढ़कर पर्यावरण संरक्षण के लिए एक पेड़ तक नहीं लगाते। आज की दुनिया में जनसंख्या के बढ़ते दबाव और प्राकृतिक संसाधनों की घटती उपलब्धता के कारण पर्यावरण को काफी नुकसान हो रहा है। मानव हस्तक्षेप ने ग्लोबल वार्मिंग, सूखा, बाढ़, मरुस्थलीकरण और भूमि और मिट्टी के कटाव सहित कई चुनौतियों को जन्म दिया है। इन जरूरी मुद्दों को पहचानते हुए, कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय Development Organizations पर्यावरण संरक्षण (Environmental Conservation) की दिशा में कदम उठा रहे हैं। इनमें से एक है एसबीआई फाउंडेशन (SBI Foundation) और संकल्प रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी (Sankalpa Rural Development Society (SRDS)
अपने सीएसआर पहल से एसबीआई फाउंडेशन और संकल्प रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी करता है पर्यावरण संरक्षण
एसबीआई फाउंडेशन (SBI Foundation) और संकल्प रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी (Sankalpa Rural Development Society (SRDS) ने मिलकर कर्नाटक के गडग जिले में सामुदायिक तालाबों का कायाकल्प कर रही है जिसका सीधा फायदा गांव वालों, छोटे और सीमांत किसानों को हो रहा है। दरअसल इस साल विश्व पर्यावरण दिवस का थीम, “Land Restoration, Desertification, and Drought Resilience जैसे जलवायु चुनौतियों के खिलाफ land degradation and resilience को संबोधित करने की तत्काल जरूरत को रेखांकित करती है। जो एसबीआई फाउंडेशन और संकल्प रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी मिलकर कर्नाटक में कर रही है। एसबीआई ये पर्यावरण संरक्षण का काम अपने सीएसआर फंड (Corporate Social Responsibility) से कर रही है। देश के कई इलाकों जहां किसान सूखे की मार झेल रहे है वहीं इस तरह के सीएसआर पहल (CSR) से न सिर्फ Environmental Conservation को बल मिलता है बल्कि स्थानीय निवासियों और किसानों को भी पर्याप्त मात्रा में पानी की उपलब्धता होती है।
सूखाग्रस्त जिला है कर्नाटक का गडग, सीएसआर से हो रहा है पर्यावरण संरक्षण
गडग जिला कर्नाटक के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में से एक है। पिछले दो सालों में एसबीआई फाउंडेशन की “रायता बंधु” पहल सूखे की इस चुनौती को प्रभावी ढंग से संबोधित कर रही है। इस पहल से गडग जिले के गांव वालों, छोटे और सीमांत किसानों को बहुत फायदा हो रहा है। रायता बंधु पहल से सामुदायिक तालाबों, खेत से जुड़ी तालाबों और फार्म मेड़ों का कायाकल्प और निर्माण किया जा रहा है। जहां तालाब नहीं है वहां नए तालाब बनाये जा रहे है और जहां है वहां के तालाबों का गहरीकरण किया जा रहा है। इस पहल से भूजल स्तर का भी रिचार्ज हो रहा है साथ ही मिट्टी के कटाव और भूमि क्षरण को रोकना और किसानों को रबी मौसम के दौरान तालाब के पानी का उपयोग करने में सक्षम बना रहा है। अब तक, इस पहल ने गडग जिले के मुंदरगी ब्लॉक के 20 गांवों में 100 खेत बांध, 40 खेत तालाब बनाए हैं और 20 सामुदायिक तालाबों का कायाकल्प किया है।
Afforestation से हो रहा है मौसम में बदलाव
संरक्षण की दिशा में एक अन्य प्रयास में कर्नाटक राज्य ग्रामीण विकास विश्वविद्यालय (Karnataka State Rural Development University (KSRDPRU) के सहयोग से कर्नाटक के गडग जिले में ही एसबीआई फाउंडेशन ने Afforestation पहल शुरू की गई है। इस पहल का उद्देश्य बंजर जमीन को जंगल में परिवर्तित करना है। इसके लिए 10 एकड़ की जमीन भी दी गयी है और एक समर्पित वन सेवक ने पिछले दो वर्षों में पेड़ों के लिए नियमित रूप से पानी देने और जन-वन के दैनिक रखरखाव को सुनिश्चित किया है। जन-वन में कुल 15,000 पौधे लगाए गए हैं, जिनमें से 90% पौधे जीवित हैं और उल्लेखनीय वृद्धि दिखा रहे हैं। इस साल हम देश में अब तक के सबसे अधिक तापमान का अनुभव कर रहे हैं। जन-वन पहल निश्चित तौर पर टेम्प्रेचर को कम करने और नियंत्रित करने में मदद करेगी, साथ ही इलाके में Desertification and Land Degradation को भी रोकेगी।
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